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Papamochani Ekadashi

पापमोचनी एकादशी

plate29महाराज युधिष्ठर ने भगवान से कहा- आपके श्रीमुख से पवित्र कथाओं को सुनकर मैं कृत-कृत्य हो गया। उसी के वशीभूत हो आगे कथा सुनने की अभिलाषा रखता हूँ। अब आप कृपा करके चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी व्रत की विधि एवम् माहात्म्य वर्णन कर मुझे कृतार्थ कीजिये।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा- जो कथा महर्षि लोमशजी ने मान्धाता को सुनाई थी, आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। चैत्र कृष्णपक्ष एकादशीका नाम पापमोचनी एकादशी है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य पिशाचत्व से मुक्त हो जाता है।

कथा-

phpThumb_generated_thumbnailचैत्ररथ वन में जहाँ पर पहले अप्सरायें निवास करती थीं। उसी सुन्दर और रमणीक स्थान में महर्षि मेधावी तपस्या कर रहे थे। एक दिन मंजुघोषा नाम की एक गन्धर्व कन्या उनको देखकर उन पर आसक्त हो गयी। मेधावी ऋषि युवा, स्वरूपवान और तेजवान व्यक्ति थे।

कामदेव की सेनापति मंजुघोषा ने मुनि के समीप सुरीली तान में मधुर गाना गाया। ऋषि का ध्यान भंग हो गया और मंजुघोषा पर दृष्टि पड़ते ही उस पर मोहित हो गए। महामुनि उसके रूप पर ऐसे मोहित हुए कि समस्त शिव-चरित्र क्षणमात्र में भूल गए।

मंजुघोषा मुनि के पास 57 वर्ष, 9 महीने, 13 दिन तक रही। एक दिन मंजुघोषा ने मुनि से जाने की आज्ञा मांगी तो कामासक्त मुनि ने कहा- “अभी ठहरो।” तब मंजुघोषा ने मुस्कराकर कहा- कितनी संध्यायें आयीं और गयीं मगर आपके लिए अभी तक रात ही हुई है?

papamochani-ekadashiमंजुघोषा के ऐसे वचन सुनकर मुनि की मोहनिद्रा भंग हुई। तब उन्होंने ध्यान करके रहस्य जाना और क्रोधित होकर कहा- “तूने मेरी अब तक की सारी आराधना नष्ट कर दी, अतः तुम पिशाचनी हो जाओ।”

मंजुघोषा ने मुनि के चरणों में गिरकर कहा- कृपाकर अब पापमोचन का उपाय बता दीजिये। तब ऋषि ने कहा- जाओ चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी का व्रत करो, तुम्हारा पाप नष्ट हो जायेगा।

ऐसा कहकर मेधावी मुनि अपने पिता च्यवन के पास आये। पिता ने देखते ही कहा तुम्हारा तेज और पुण्य कैसे नष्ट हो गया? मेधावी मुनि ने पिता को सारा हाल बताकर पाप से मुक्त होने का उपाय पूछा। च्यवन ने भी पुत्र को वही सलाह दी। मेधावी मुनि और मंजुघोषा दोनों ने पापमोचनी एकादशी का व्रत कर अपने-अपने पापों को नष्ट किया।

पापमोचनी एकादशी का यह प्रभाव है कि व्रत करने वाले के पाप नष्ट हो जायें। इस कथा के कहने एवम् सुनने से हजारों गौ दान का फल होता है। ब्रह्म हत्या, सुवर्ण चुराने का पाप, शराब पीने के पाप को एवम् संसार के समस्त पापों को यह पापमोचनी एकादशी नष्ट करती है।

हरे कृष्ण !!

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