Happy Dhanteras
Dhanteras also known as the festival of...
महाराज युधिष्ठर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा- भगवन! आप कृपा कर वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी के व्रत का विधान एंव महात्म्य वर्णन कर मेरे तृषित हृदय की प्यास का हरण कीजिये।
भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले- राजन! अब मैं तुम्हें वह कथा सुनाता हूँ, जो महर्षि वशिष्ठ ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचन्द्र को सुनाई थी।
एक बार भगवान श्रीरामचन्द्र जी ने अपने गुरु वशिष्ठ जी से हाथ जोड़कर कहा- “हे भगवन! आप कृपा कर कोई ऐसा व्रत बतावें जिसके करने से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति हो तथा अनायास ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति हो।”
वशिष्ठ जी ने कहा- वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का व्रत जगत के समस्त मोह-जाल और पाप कर्मों से मुक्ति करा देता है।
सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम की नगरी में राजासोम रहते थे। वे अत्यंत धर्मात्मा, दयालु, सत्यवादी एंव न्यायी थे। उनका धनपाल नाम का मंत्री था जो कि राजा के समान ही धर्मात्मा और परम वैष्णव था। उसके पाँच पुत्रों में से एक पुत्र ध्रुष्टबुद्धि, महापापी, दुराचारी, जुआरी, चोर, वैश्या एंव परस्त्रीगामी, महा उद्दण्ड और आततायी था।
धनपाल ने उसे बहुत समझाया, पर वह नहीं माना। तब उसे राजा ने देश-निकाले का दण्ड दिया। वह दुष्ट अब चोरी और बईमानी करके गुजर-बसर करता था।
संयोगवश वह एक दिन कौडिन्य मुनि के आश्रम पर जा पहुँचा। वहाँ मुनि के वस्त्र का एक कोना उसके शरीर से छू गया। उसी के प्रभाव से उसके पाप कुछ हलके हो गये, जिससे उसके ह्रदय में ज्ञान का संचार हुआ। तब उसने महर्षि से कहा- प्रभु! मैं महाअधर्मी और महापापी हूँ। मुझे कोई ऐसी युक्ति बताइये जिसमें अधिक परिश्रम और धन न लगे तथा मैं अपने किये हुए पापों से मुक्त हो जाऊँ। महर्षि ने कहा- कल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की मोहिनी नाम की एकादशी है। तुम शुद्ध मन से संकल्प करो कि “मैं अपने पापों के मोचनार्थ मोहिनी व्रत करूँगा।”
एकादशी के दिन भगवान का पूजन एंव ध्यान करो और दिन से रात तक भोजन-पान त्याग कर केवल भगवद भजन करो। तुम्हारा पाप अवश्य नष्ट हो जायेगा।
मुनि की बात सुनकर ध्रुष्टबुद्धि बहुत प्रसन्न हुआ और उनकी बताई हुई विधि के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत किया।इस व्रत के प्रभाव से उसके समस्त पाप नष्ट हो गये और उसने परम गति को प्राप्त किया। मोहिनी एकादशी के समान सरल एंव फल देने वाला और कोई दूसरा व्रत नहीं है। इस कथा को कहने एंव सुनने वालों को अनेकों गौदान का फल प्राप्त होता है।
हरे कृष्ण !!
Guru Bhagwan Ko Naman h guru Bhagwan ke Anant Anant sukhrane h