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Apara Ekadashi

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी व्रत

mahab18महाराज युधिष्ठर ने श्री कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा- हे मधुसुदन! आप कृपाकर ज्येष्ठ मास की एकादशी का नाम और माहात्म्य सुनाइये।

भगवान् श्री कृष्ण ने कहा- ज्येष्ठमास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अपरा है। क्योंकि यह अपार पापों को नष्ट करने वाली है। इस एकादशी का व्रत करने वालों के ब्रह्महत्या, भ्रूणहत्या, गौहत्या, मित्रहत्या, पर-निंदा, पर-स्त्रीरमण का पाप, झूठी गवाही देने का पाप तथा और भी अनेकों प्रकार के पाप नष्ट होते हैं।

स्वर्णदान, अश्वदान, गजदान, भूमिदान, विद्यादान, अन्नदान, कन्यादान इत्यादि महादानों का जो फल होता है, वह महान पुण्य-फल केवल एक मात्र अपरा एकादशी का व्रत धारण करने से होता है।

अपरा के समान, पापों को नष्ट करने वाला कोई भी पुण्य-फल नहीं एंव अक्षय पुण्य-फल को प्राप्त करने के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखना अत्यंत आवश्यक है। अपरा की अवहेलना करने वाले प्राणियों को कहीं भी त्राण नहीं मिलता।

अपरा एकादशी का व्रत नियमपूर्वक धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करने से सांसारिक सुखों की प्राप्ति के बाद अन्तकाल में परलोक की प्राप्ति भी होती है।

इसके पढ़ने एंव सुनने से ही लोग पापों से मुक्ति पाकर विष्णुलोक में निवास करते हैं।

हरे कृष्ण !!

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