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Our Organisation provides spiritual reading matter.
भजन सरिता
सरिता का कार्य है, निरंतर प्रवाह जारी रखते हुए अपने इष्ट से मिलकर अपना अस्तित्व फ़ना कर देना। भजन सरिता भी ठीक उसी प्रकार निरंतर भजनों का प्रवाह बनकर भक्तों को इष्ट श्याम सुन्दर भगवान कृष्ण से मिलाकर उनके अहंकार को विलीन कर ही शांत होती है।
भक्ति रहस्य
भक्त कौन, भक्त कैसे बने, इस रहस्य को पूज्य सदगुरु भगवान ने बड़े ही सरल, रोचक, शास्त्रसम्मत तरीके से प्रभावपूर्ण शैली में साधकों के समक्ष उनके शीघ्र कल्याण हेतु प्रस्तुत किया।भक्ति के सार में है ,प्रेम जो सतगुरु सान्निध्य, संतों के संग, भक्तों के जीवन चरित्र पढ़ते-पढ़ते कब प्रकट हो जाता है , यह रहस्य बना ही रहता
आनन्द सन्देश
आज जीवन बड़ा तनाव ग्रस्त, दुखों से परिपूर्ण, संघर्षमय, दिखावेबाजी से लबालब, पाश्चात्य सभ्यता से पूर्णतः प्रभावित, आध्यात्मिकता विहीन हो चूका है, परिणाम उच्च रक्तचाप, डिप्रेशन, हृदय विकार आदि अनेक मनोविकारों ने मानव मात्र को अपने आगोश में जकड़ लिया है। इन्हीं सब विकारों पर कैसे जीत बोली जाये और इन्हें हमेशा के लिए परास्तकर मानव स्वस्थ चित्त हो, प्रसन्नचित हो, हल्का फुल्का हो, सतगुरु भगवानजी ने अपने अथक प्रयास, कड़ी मेहनत से अपने पूरे जीवन के अनुभव को इस पुस्तक में उड़ेल दिया।
श्रीमद भागवत भाग 1, 2, 3
आज मानव जीवन इतना ज्यादा व्यस्त हो गया है कि इस भौतकवादी, दिखावे के युग में उसे फुरसत ही नहीं है, रूचि ही नहीं है, धर्म कर्म में, आध्यात्मिकता में। ऐसे परिवेश में श्री मद भागवत ग्रन्थ जिसे भगवान का वांग्मय अवतार माना गया है, को तीन भागों (पुस्तकों) में विभक्त कर इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत कर सतगुरु भगवान जी ने अपने अथक परिश्रम से जनसुलभ बना कर हम साधकों पर ना केवल महान परोपकार किया अपितु भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा प्रेम बढ़ाने में भी पूरा सहयोग किया।
नाम जप की महिमा
इस विषय पर अपने प्रकार की इस अद्भुत पुस्तक को पढ़ने के बाद ही पता लगता है कि नाम जप जैसे सरल साधन की भी इतनी ज्यादा महत्ता है इस कलयुग में। हम साधक लोगों का जीवन धन्य है ऐसे सतगुरु भगवान का सानिध्य पाकर जिन्होंने पूरे मनोयोग से इस पुस्तक को लिपिबद्ध कर हमें कृतार्थ किया।
भक्त चरण रज भाग 1, 2
गोस्वामी तुल्सी दास जी ने रामचरितमानस में एक चोपाई में लिखा है "राम जपत रामहि हो जाई" अर्थात जिसका हम चिंतन करते हैं हम वही हो जाते हैं। इस चोपाई को चरितार्थ करने की दिशा में सतगुरु भगवान ने हम सब पर महान कृपा की, इस पुस्तक की रचनाकर। भक्तों के चरित्र का इतना प्रभावशाली, सुंदरवर्णन इतनी सरल रोचक शैली में प्रस्तुत कर साधकों को कृत्य कृत्य कर दिया।
श्रीमद भागवत कथा सप्ताह, वृन्दावन
हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं जो हमें श्रीमद भागवत के श्रवण का सुअवसर प्राप्त हो रहा है, जिसमें न छिलका है न गुठली, केवल रस ही रस है। तो आइये अपने सद्गुरु भगवान के श्री मुख से इस कथा अमृत का पान करते हैं, जो भगवत प्रेम बढ़ाने वाली है, क्योंकि श्री कृष्ण/भगवत प्रेम ही इस मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है।
भजन सरिता
सरिता का कार्य है, निरंतर प्रवाह जारी रखते हुए अपने इष्ट से मिलकर अपना अस्तित्व फ़ना कर देना। भजन सरिता भी ठीक उसी प्रकार निरंतर भजनों का प्रवाह बनकर भक्तों को इष्ट श्याम सुन्दर भगवान कृष्ण से मिलाकर उनके अहंकार को विलीन कर ही शांत होती है।
भक्ति रहस्य
भक्त कौन, भक्त कैसे बने, इस रहस्य को पूज्य सदगुरु भगवान ने बड़े ही सरल, रोचक, शास्त्रसम्मत तरीके से प्रभावपूर्ण शैली में साधकों के समक्ष उनके शीघ्र कल्याण हेतु प्रस्तुत किया।भक्ति के सार में है ,प्रेम जो सतगुरु सान्निध्य, संतों के संग, भक्तों के जीवन चरित्र पढ़ते-पढ़ते कब प्रकट हो जाता है , यह रहस्य बना ही रहता
आनन्द सन्देश
आज जीवन बड़ा तनाव ग्रस्त, दुखों से परिपूर्ण, संघर्षमय, दिखावेबाजी से लबालब, पाश्चात्य सभ्यता से पूर्णतः प्रभावित, आध्यात्मिकता विहीन हो चूका है, परिणाम उच्च रक्तचाप, डिप्रेशन, हृदय विकार आदि अनेक मनोविकारों ने मानव मात्र को अपने आगोश में जकड़ लिया है। इन्हीं सब विकारों पर कैसे जीत बोली जाये और इन्हें हमेशा के लिए परास्तकर मानव स्वस्थ चित्त हो, प्रसन्नचित हो, हल्का फुल्का हो, सतगुरु भगवानजी ने अपने अथक प्रयास, कड़ी मेहनत से अपने पूरे जीवन के अनुभव को इस पुस्तक में उड़ेल दिया।
श्रीमद भागवत भाग 1, 2, 3
आज मानव जीवन इतना ज्यादा व्यस्त हो गया है कि इस भौतकवादी, दिखावे के युग में उसे फुरसत ही नहीं है, रूचि ही नहीं है, धर्म कर्म में, आध्यात्मिकता में। ऐसे परिवेश में श्री मद भागवत ग्रन्थ जिसे भगवान का वांग्मय अवतार माना गया है, को तीन भागों (पुस्तकों) में विभक्त कर इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत कर सतगुरु भगवान जी ने अपने अथक परिश्रम से जनसुलभ बना कर हम साधकों पर ना केवल महान परोपकार किया अपितु भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा प्रेम बढ़ाने में भी पूरा सहयोग किया।
नाम जप की महिमा
इस विषय पर अपने प्रकार की इस अद्भुत पुस्तक को पढ़ने के बाद ही पता लगता है कि नाम जप जैसे सरल साधन की भी इतनी ज्यादा महत्ता है इस कलयुग में। हम साधक लोगों का जीवन धन्य है ऐसे सतगुरु भगवान का सानिध्य पाकर जिन्होंने पूरे मनोयोग से इस पुस्तक को लिपिबद्ध कर हमें कृतार्थ किया।
भक्त चरण रज भाग 1, 2
गोस्वामी तुल्सी दास जी ने रामचरितमानस में एक चोपाई में लिखा है "राम जपत रामहि हो जाई" अर्थात जिसका हम चिंतन करते हैं हम वही हो जाते हैं। इस चोपाई को चरितार्थ करने की दिशा में सतगुरु भगवान ने हम सब पर महान कृपा की, इस पुस्तक की रचनाकर। भक्तों के चरित्र का इतना प्रभावशाली, सुंदरवर्णन इतनी सरल रोचक शैली में प्रस्तुत कर साधकों को कृत्य कृत्य कर दिया।
श्रीमद भागवत कथा सप्ताह, वृन्दावन
हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं जो हमें श्रीमद भागवत के श्रवण का सुअवसर प्राप्त हो रहा है, जिसमें न छिलका है न गुठली, केवल रस ही रस है। तो आइये अपने सद्गुरु भगवान के श्री मुख से इस कथा अमृत का पान करते हैं, जो भगवत प्रेम बढ़ाने वाली है, क्योंकि श्री कृष्ण/भगवत प्रेम ही इस मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है।