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Yogini Ekadashi

युधिष्ठर ने कहा – हे मधुसूदन! आषाढ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम और माहात्म्य क्या है?

भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने कहा – आषाढ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम योगिनी एकादशी है और यह एकादशी त्रिलोक में मुख्य है।

कथा

अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा था जो श्री भूतनाथ शिवशंकर जी की सदा पूजा किया करता था। जो व्यक्ति पूजन के लिए पुष्प लाता था उसका नाम हेममाली था तथा उसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था। एक दिन हेममाली पुष्प लाकर घर में ही रह गया और राजा पुष्पों की प्रतीक्षा करता रहा। अत्यधिक समय बीत जाने पर यक्षराज कुबेर ने सेवकों से कहा- पता लगाओ कि हेममाली अब तक क्यों नहीं आया और उसको बुलवाने की आज्ञा दी।

उधर हेममाली को भी अपना दोष ज्ञात हो गया था। भय से काँपता हुआ वह राजा के पास आया। राजा ने कहा- तूने भगवान शंकर का अनादर किया है। अतः तू यहाँ से मृत्युलोक में जाकर स्त्री से रहित तथा कुष्ठी होकर जीवन-यापन कर। इसके पश्चात् वह कष्टपूर्ण जीवन-यापन करने लगा। परन्तु भगवान शंकर के पूजन के प्रभाव से उसकी प्राचीन स्मृति नष्ट न हुई।

वह विन्ध्याचल की ओर श्री मार्कण्डेय मुनि के आश्रम में पहुँच गया। मुनि को अपनी सम्पूर्ण पूर्वकथा सुनाकर प्रार्थना की- “आप मुझको कोई ऐसी युक्ति बतायें, जिससे मेरा यह कष्ट निवृत्त हो जाये और मैं पूर्व की भाँती हो जाऊँ।”

मार्कण्डेय मुनि ने कहा- आषाढ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत करो। जिससे तुम्हारा सब कष्ट दूर होगा। उसने भक्ति पूर्वक वह व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह सभी रोग एवं कष्टों से मुक्त होकर शुद्ध तथा सुंदर स्वरूपवान हो गया।

इस प्रकार यह व्रत महत्व प्रदान करने वाला है। अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल प्राप्त होता है वही फल इस योगिनी एकादशी का व्रत करने से होता है। इस व्रत को मनुष्यों को अवश्य ही करना चाहिए।

हरे कृष्ण !!

2 responses on "Yogini Ekadashi"

  1. Gurubhagwan k anant anant shukrane hein.

  2. Anant Anant shukarane mere prabhu Ji…

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