Spiritual Awareness

Ram Navami

रामनवमी हिन्दू धर्म का एक मुख्य, पारंपरिक व धार्मिक त्यौहार है, जो हर वर्ष पूरे उत्साह व उल्लास के साथ चैत्र शुक्ल की नवमी को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 5 अप्रैल 2017 को मनाया जाएगा। रामनवमी के पावन दिन को श्री राम जी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है।

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श्री राम जन्म (The Birth of Lord Ram)

भगवान श्री राम, विष्णु जी के दशावतारों में से 7वें अवतार थे। त्रेतायुग में रावण नामक राक्षस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए, रामराज्य की स्थापना करने हेतु सभी भक्तों की व ऋषि मुनियों की पुकार पर भगवान विष्णु श्री राम के रूप में धरती पर अवतरित हुए।

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त्रेता युग में दशरथ नामक एक निःसंतान राजा थे। जिनकी तीन पत्नियाँ थीं (कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी)। अपने राज्य अयोध्या के भविष्य को लेकर चिंतित राजा ने गुरु मुनि वशिष्ठ के कहने पर सन्तान प्राप्ति का यज्ञ करवाया।

ऋष्यश्रृंग विशेष रूप से यज्ञ करवाने आये। यज्ञ सम्पूर्ण होने के बाद राजा दशरथ को दिव्य खीर से भरा कटोरा दिया, जिसे उन्होंने बड़ी रानी कौशल्या को दिया। कौशल्या ने आधा छोटी रानी कैकेयी को दिया। फिर दोनों ने अपना आधा भाग सबसे छोटी रानी सुमित्रा को दिया। प्रेम व श्रद्धा पूर्वक इस दिव्य प्रसाद को ग्रहण करने के फल स्वरूप कुछ ही दिनों में तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं।

birth-story-of-lord-rama-1चैत्र के महीने में नवमी के दिन, कौशल्या ने श्रीराम को, कैकेयी ने भरत को व सुमित्रा ने जुड़वाँ पुत्र लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।

रघुकुल नंदन श्री राम के प्राकट्य से चारों ओर आनंद का वातावरण छा गया मानों प्रकृति भी प्रभु के स्वागत को लालायित हो रही हो, सारी सृष्टि उन्हीं के रंग में रंग गई।

त्यौहार का महत्त्व (The Significance of this festival)

रामनवमी का त्यौहार प्रातः सूर्य देवता को जल चढ़ाने के साथ ही प्रारंभ होता है। लोग पूरे दिन भक्तिमय भजन गाते-बजाते हैं व श्रीराम का संकीर्तन करते हैं। श्री रामायण जी का पाठ भी किया जाता है।

कई स्थानों पर लोग धार्मिक व सांस्कृतिक उत्सव रामलीला का आयोजन कर, श्री राम जी के जीवन का नाटकीय रूपांतरण भी दर्शाते हैं। राम नवमी के त्यौहार की रथ यात्रा का पारंपरिक भव्य जुलूस शांतपूर्ण राम राज्य को प्रदर्शित करने का सबसे अच्छा तरीका है। जुलूस में श्री राम दरबार को सजाकर लोग पूरे शहर में शोभा यात्रा निकाल कर, नाचते-गाते व खुशियाँ मना कर भगवान को रिझाते हैं।

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अनेकों स्थानों पर हवन व भंडारे इत्यादि भी किये जाते हैं। पूरे दिन मंत्र उच्चारण, भजन व आरती के आयोजन किये जाते हैं। बहुत सी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या की पवित्र नदी सरयू में स्नान करते हैं। मंदिरों व घरों को पारंपरिक अनुष्ठान करने के लिए अति सुन्दर तरीके से सुसज्जित किया जाता है व प्रभु को फल, फुल व अनेकों प्रकार के नैवेद्य अर्पित किये जाते हैं।

bhagwan-sri-ram-chandra.fwभगवान श्री राम ने अपने भक्तों को दुष्ट राक्षसों से बचाकर अधर्म का नाश करके, पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे इसलिए उनका प्राकट्य दिवस हर वर्ष बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के पर्व की पूरी देश में बहुत ही आस्था है। इसी दिन के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। इस प्रकार इन दो मह्त्वपूर्ण त्योहारों का एक साथ होना रामनवमी के पावन दिन को और महत्वपूर्ण बना देता है। प्रचालित है कि श्री रामचरित मानस की रचना का प्रारंभ भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने आज के दिन ही किया था।

पर्व व त्यौहार हमारी भक्ति बढ़ाने व भगवान को याद कराने के लिए आते हैं। श्री राम जी से प्रार्थना करें कि वे हमें अपनी भक्ति का दान दें। उनके चरणों में हमारी प्रीति बढ़े। प्रार्थना करें कि “हे प्रभु मैं आप का हूँ, आप मेरे हैं। आप मेरे मन में निवास करें। मैं आपकी शरण में हूँ मुझे निर्भय कीजिए। मेरे मन के आंतरिक मैल को स्वच्छ करके उसमें भक्ति का समावेश कीजिये।”

रामनवमी पर यही दृढ़ निश्चय करें कि अपने मन, बुद्धि और चित्त को पूर्ण रूप से श्रीराम जी की भक्ति में लगा देंगे और भगवान के चरणों में पूर्ण समर्पित रहेंगे।

जय श्री राम !!

1 responses on "Ram Navami"

  1. Vijayalakshmi saxenaApril 6, 2017 at 9:01 amReply

    Param pujya niya Guru Bhagwanji ke anant shukrane hain aur hridey se karodo Naman hain.

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