Spiritual Awareness

Kamada Ekadashi

महाराज युधिष्ठर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा- हे महाप्रभो! चैत्र शुक्लपक्ष एकादशी का नाम और माहात्म्य क्या है? कृपा कर बताइए।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- राजन! यह प्रश्न महाराज दिलीप ने अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ से किया था। चैत्र शुक्लपक्ष एकादशी का नाम कामदा एकादशी है। यह एकादशी अत्यंत पुण्य देने वाली, महान पापों को नष्ट करने वाली और संतान को देने वाली है।

कथा

1391426621एक भोगीपुर नाम का नगर था, जो महान ऐश्वर्यों से संपन्न था और वहाँ का राजा पुंडरिक था। उसी राज्य में ललित नाम का गन्धर्व अपनी पत्नी ललिता के साथ प्रेम-पूर्वक रहता था। एक दिन ललित राज दरबार में गाना गाने में चूक गया। वहाँ के राजा ने क्रोध में आकर शाप दे दिया कि तू राक्षस हो जा, जिससे ललित का शरीर विशाल, भयंकर, कुरूप तथा बेडौल हो गया। यह देखकर ललिता दुखी होकर अपने पति के साथ राज्य छोड़कर दूर निकल आई। ललित राक्षस बनकर क्रूर-कर्मों को करने में लग गया।

ये दोनों एक दिन विंध्यप्रदेश के पर्वतों में जहाँ महर्षि श्रंगी का आश्रम था, वहाँ आ गए। तब ललिता ने महर्षि श्रंगी को अपना दुःख बताया और कहा कि मैं अपने पति की शाप से मुक्ति के लिए एवं कल्याण के लिए आपकी शरण में आई हूँ।

Shring-Rishi

ऐसे वचन सुनकर महर्षि ने कहा- तुम चैत्र शुक्लपक्ष की कामदा एकादशी का व्रत विधिवत करके उसका फल अपने पति को अर्पण कर दो। ललिता ने महर्षि के कहने पर आश्रम में ही कामदा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान के अनुसार किया। जिससे तत्काल ही ललित का शाप नष्ट हो गया और वह अपने पुराने स्वरुप में वापिस आ गया।

यह कामदा नामक एकादशी का व्रत महान अक्षय फल को देने वाला और पापों को नष्ट करने वाला है। ब्रह्म हत्या इत्यादि महान पापों को करने वाले महान पापी भी कामदा एकादशी का व्रत कर पाप से मुक्त हो जाते हैं। इस कथा के कहने एवं सुनने से वाजपेय यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है।

हरे कृष्ण !!

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