Happy Dhanteras
Dhanteras also known as the festival of...
दीपावली हमारे भारत वर्ष के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। ये त्यौहार बहुत उमंग, उत्साह, जोश का त्यौहार है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार- भगवान राम चौदह वर्ष वनवास काटकर, रावण को मारकर इस दिन अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीप, जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से आज तक ये पर्व दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
इस त्यौहार का आरम्भ ‘‘नवदुर्गे से होता है। नवदुर्गे नवधा भक्ति के प्रतीक हैं। नौ दिन के नवरात्र नवधा भक्ति को हमारे जीवन में लाते हैं और जब भक्ति आती है तो अपने साथ प्रेम व समर्पण लाती है।
इसके बाद दशहरा आता है। दशहरे का अर्थ है- रावण पर राम की विजय। हर व्यक्ति के मन में राम-रावण युद्ध चल रहा है। राम है- ज्ञान का विचार, रावण है- अज्ञान का विचार। न जाने कितने जन्मों से ये युद्ध हमारे मन में चल रहा है। हम अपनी जि़ंदगी में ज्यादातर रावण को ही जिता देते हैं। अज्ञान का विचार ज्ञान पर हावी हो जाता है। जैसे- इच्छा आ जाती है, अहंकार आ जाता है, द्वैत आ जाता है, past & future का विचार आ जाता है। सच्चा दशहरा है- मन रूपी रावण हार जाये, अहंकार खत्म हो जाये, अज्ञान पर इस बार ज्ञान की विजय हो।
दशहरे के 20 दिन बाद दीपावाली आती है। इन 20 दिनों में घरों की सफाइयाँ होती हैं। गुरु भगवान् कहते हैं- ये प्रतीक है कि बार-बार इच्छा आ जाती है, अहंकार आ जाता है उसे बार-बार हटाना। घर के जालों के साथ मन के जाले भी साफ हो जायें। लगातार गुरु के सान्निध्य में रहकर अंतःकरण शुद्ध होता जाये।
फिर आती है दीपावाली। ये त्यौहार Light का त्यौहार है। Light ज्ञान का प्रतीक है। जब पूरी तरह अंतःकरण शुद्ध हो गया तो अंदर ज्ञान का दीया हमेशा जलता रहता है। मन रूपी रावण को पूरी तरह हरा दिया। अब आप अपने मन के प्रत्येक विचार को देख सकते हैं, पर उससे मिलेंगे नहीं। अंदर ज्ञान की इतनी Light जल रह रही है कि ज़रा सा अज्ञान का विचार आते ही आप उसे देख पाते हैं। इसके बाद जब हम मन रूपी रावण को मारकर हर पल जागकर रहते हैं तो सच्ची खुशी, आनन्द प्रगट होता है और यही हमारी सच्ची दीपावली है।
इस दिन भगवान् राम चौदह वर्ष वन में रहकर यानि जीवन में तपस्या करके, रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे। गुरु भगवान् ने बताया जब हम भी लगातार कई वर्ष बिना उकताये चित्त से जीवन में साधना करते हैं, तप करते हैं, तो हमारा अन्तःकरण शुद्ध होता जाता है और फिर शुद्ध अन्तःकरण में परमात्मा प्रगट होते हैं अर्थात् आनन्द शान्ति प्रगट होती है।
गुरु भगवान् ने बताया दीपावली पर दीपों की पंक्ति लगाई जाती है। सिर्फ एक दीपक नहीं जलाते। इसका अर्थ है एक दीप तले अँधेरा होता है। लेकिन जब हम दीपों की पूरी पंक्ति लगाते हैं तो पूरा अंधकार दूर हो जाता है। ऐसे ही जब हम ज्ञान को अपने तक सीमित रखते हैं तो जीवन में कहीं न कहीं अज्ञान रूपी अंधकार आ ही जाता है पर गुरु का ज्ञान व प्रेम बाँटते हैं तो सिर्फ रोशनी ही रोशनी रहती है।
गुरु भगवान् ने बताया दीवाली पर दीप तो अनेक होते हैं पर उनकी ज्योति एक ही होती है।इसका अर्थ है नामरूप, शरीर अनेक हैं पर सबके अंदर चेतन तत्त्व (आत्मा) एक ही है।
फिर इस दिन लक्ष्मी-गणेश जी के पूजन का विशेष महत्व है। हर व्यक्ति चाहता है हमारे घर लक्ष्मी जी पधारें। गुरु भगवान् ने बताया- लक्ष्मी जी भगवान् विष्णु के पैर दबाती हैं और भगवान् विष्णु सारी सृष्टि की पालना कर रहे हैं और स्वयं में स्थित हैं। अर्थात् जब हम सर्वहित के लिए जीते हैं तभी लक्ष्मी जी सेवा करने आती हैं। लक्ष्मी जी के पूजन के साथ गणेश जी का पूजन अवश्य होता है। लक्ष्मी जी material wealth का प्रतीक है। गणेश जी knowledge का प्रतीक है।
Richness without knowledge only gives you misery
यदि बिना ज्ञान के धन आता है तो वह धन सुख-समृद्धि नहीं देता। वो सिर्फ दुःख देकर जाता है। इसलिए लक्ष्मी के साथ गणेश जी का पूजन होता है ताकि ज्ञान सहित धन आये और हमें सुख-समृद्धि दें।
दिवाली की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं, ये दिवाली मंगलमय हो। आप सभी को आनंद, शांति, प्रेम, भक्ति, सुख- समृद्धि प्राप्त हो।
Happy Diwali !!
Guru tells us real mean of all festivals and fills our life with joy, happiness.Guru Bhagwan ke anant anant shukrane hain.soi badbhagi jo SADGURU pae.
सदगुरू भगवान का अननत शुकराना
गुरू भगवान ने दीपावली का दिवय अथॆ बतायाहै।
Guru bhagwan k anant shukrane Hein.